समाचार

​Inspirational Story:-भारतीय सेना के वीर योद्धा मेजर मोहित शर्मा की प्रेरणादायक कहानी

Inspirational Story:-भारतीय सेना के जांबाज मेजर मोहित शर्मा ने आतंकियों के बीच रहकर उनके दो शीर्ष कमांडरों का सफाया किया।


मेजर मोहित शर्मा: एक संक्षिप्त परिचय

विवरणजानकारी
जन्म13 जनवरी 1978, रोहतक, हरियाणा
सेवा काल1999 – 2009
यूनिट1 पैरा (स्पेशल फोर्सेज)
उपनामइफ्तिखार भट्ट (गुप्त ऑपरेशन के दौरान)
वीरता पुरस्कारअशोक चक्र (मरणोपरांत), सेना मेडल

गुप्त ऑपरेशन: आतंकियों के बीच एक भारतीय योद्धा

2004 में, मेजर मोहित शर्मा ने ‘इफ्तिखार भट्ट’ के नाम से हिजबुल मुजाहिदीन में घुसपैठ की। उन्होंने आतंकियों को यह विश्वास दिलाया कि वह सेना से बदला लेना चाहता है। इस विश्वास के चलते, उन्हें आतंकियों के साथ रहने और उनकी योजनाओं में शामिल होने का अवसर मिला।​


साहसिक कार्रवाई: आतंकियों का अंत

एक दिन, जब दो शीर्ष आतंकी कमांडर, अबू तोरारा और अबू सबजार, मेजर शर्मा की पहचान पर संदेह करने लगे, तो मेजर ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपनी राइफल फेंकते हुए कहा, “भाईजान, अगर भरोसा नहीं है तो गोली मार दो, लेकिन सवाल मत पूछो।” इसके बाद, उन्होंने दोनों आतंकियों को नजदीक से गोली मारकर ढेर कर दिया।​


कुपवाड़ा में अंतिम बलिदान

21 मार्च 2009 को, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हफरूदा जंगल में, मेजर मोहित शर्मा ने चार आतंकियों को मार गिराया और दो साथियों की जान बचाई। इस बहादुरी के दौरान, वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए।​


सम्मान और स्मृति

  • अशोक चक्र: 26 जनवरी 2010 को मरणोपरांत प्रदान किया गया।
  • मेजर मोहित शर्मा राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन: दिल्ली में उनके सम्मान में नामित।
  • मेजर मोहित शर्मा स्मृति ट्रस्ट: शहीद सैनिकों के बच्चों की सहायता हेतु स्थापित।​

मेजर मोहित शर्मा की वीरता का सारांश

वर्षऑपरेशन/घटनाउपलब्धि
2004हिजबुल मुजाहिदीन में घुसपैठदो शीर्ष आतंकियों का सफाया
2005सेना मेडल प्राप्तगुप्त ऑपरेशन में बहादुरी के लिए
2009कुपवाड़ा में शहादतचार आतंकियों को मारकर दो साथियों की रक्षा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *