Waqf Bill:- वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले केंद्र सरकार की विशेष अपील

Waqf Bill:- हाल ही में संसद द्वारा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पारित किया गया, जिससे देश में राजनीतिक हलचल मच गई है। राष्ट्रपति की मंजूरी के तुरंत बाद, इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें इसे असंवैधानिक बताया गया है। इन याचिकाओं में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद और अन्य संगठनों ने भाग लिया है।
मामले की पृष्ठभूमि:
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और सरकारी निगरानी बढ़ाने का प्रस्ताव है। सरकार का दावा है कि यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार कम करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है।
विपक्ष की आपत्तियां:
विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (धर्म के आधार पर भेदभाव निषेध), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार) का उल्लंघन करता है। उनका कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर हमला है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी अनुचित है।
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया:
इन याचिकाओं के जवाब में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर किया है, ताकि बिना उनकी सुनवाई के कोई आदेश पारित न हो। सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
आगे की राह:
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होने की संभावना है। इस पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं, क्योंकि इसका असर मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर पड़ सकता है।
प्रमुख आंकड़े:
पक्ष | लोकसभा में वोट | राज्यसभा में वोट |
---|---|---|
समर्थन में | 288 | 128 |
विरोध में | 232 | 95 |
प्रमुख याचिकाकर्ता:
- कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
- AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- जमीयत उलमा-ए-हिंद
प्रमुख चिंताएं:
गैर-मुस्लिम सदस्यों की वक्फ बोर्डों में नियुक्ति
वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ना
धार्मिक स्वायत्तता का हनन