
Bastar Olympics 2024:- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर जिले के जगदलपुर में बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में कहा कि यह आयोजन सिर्फ खेलों का नहीं, बल्कि विकास, शांति, और नई उम्मीदों का प्रतीक है। उन्होंने घोषणा की कि 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह से खात्मा कर दिया जाएगा।
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मुख्य बिंदु
बिंदु | विवरण |
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बस्तर की नई पहचान | बस्तर का असली चेहरा इसकी सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता है, न कि माओवादी हिंसा। |
पर्यटन का विकास | नक्सलवाद खत्म होने पर बस्तर में कश्मीर से अधिक पर्यटक आने की संभावना। |
युवाओं का संदेश | “हार मानने वाला कभी नहीं जीतता,” युवाओं को खेल और रोजगार से जोड़ा जाएगा। |
अमित शाह का वादा:
- बस्तर में छोटे उद्योगों और पर्यटन का विकास किया जाएगा।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को सड़क, बिजली, शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाएगा।

मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर ओलंपिक ने पूरे अंचल के युवाओं को एक सकारात्मक दिशा दी है।
- 1.65 लाख से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया।
- माओवादी हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण करने वाले भी खेलों में शामिल हुए।
विकास की झलक:
- नियद नेल्ला नार योजना के तहत गांवों में सड़कों, स्कूलों और अस्पतालों का निर्माण।
- तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 4,000 रुपये से बढ़ाकर 5,500 रुपये।
- नक्सल प्रभावित परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 15,000 मकानों का निर्माण।
बस्तर ओलंपिक: नवा दौर की शुरुआत
“बस्तर की मिट्टी में साहस और सामर्थ्य है। नक्सलवाद का अंत तय है, और बस्तर खेलों के जरिए एक नए युग की शुरुआत कर रहा है।” – मुख्यमंत्री
आकर्षक तथ्य
कांगेर घाटी का धुड़मारास गांव विश्व पर्यटन संगठन की सूची में शामिल।
300+ आत्मसमर्पित नक्सली और 18 दिव्यांग खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।