CG NEWS:-बिना ग्रामसभा की मंज़ूरी के शुरू हुई कोल परियोजना, ग्रामीणों में उबाल – प्रकाश इंडस्ट्रीज पर उठे सवाल, मंत्री बोलीं- ग्रामीणों के साथ हूं

CG NEWS:-गांव के सपनों पर भारी पड़ा कोल प्रोजेक्ट
जब किसी गांव में बड़ी परियोजना आती है, तो वहां के लोग सपने देखते हैं – अच्छी सड़कें, स्कूल, अस्पताल और रोजगार। लेकिन छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में इन सपनों की जगह अब सिर्फ धूल, धमाके और दुख ने ले ली है।
प्रकाश इंडस्ट्रीज की भास्करपारा कोल परियोजना बिना ग्रामीणों की सहमति के शुरू कर दी गई। पांच महीने पहले बिना पूरी ग्रामसभा की मंजूरी के कंपनी ने खुदाई का काम शुरू कर दिया। अब ग्रामीणों ने बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
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CG NEWS:-परियोजना से जुड़ा विवाद – एक नजर में
बिंदु | विवरण |
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परियोजना का नाम | भास्करपारा कोल परियोजना |
कंपनी | प्रकाश इंडस्ट्रीज |
स्थान | सूरजपुर ज़िला, छत्तीसगढ़ |
शुरुआत | 5 महीने पहले (बिना ग्रामसभा की सहमति) |
ग्रामसभाएं | पूरी नहीं हुईं, सिर्फ 3 पंचायतों में हुईं |
गांवों की संख्या | 5 प्रभावित गांव |
शिकायतें | – मुआवज़ा नहीं मिला – ब्लास्टिंग से घरों में दरार – बाहरी मजदूरों को काम – सड़कें टूट रही हैं |
ब्लास्टिंग से ग्रामीणों का जीवन खतरे में
स्थानीय ग्रामीण सुनील साहू के अनुसार, खदान में हो रही भारी ब्लास्टिंग से आसपास के घरों में दरारें आ गई हैं। बरसात में घर गिरने का खतरा है। करीब 5 किलोमीटर के दायरे में कई गांव प्रभावित हो सकते हैं।

बिना रोजगार, टूटी सड़कें
ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी बाहरी मजदूरों को काम पर रख रही है और स्थानीय युवाओं को नजरअंदाज कर रही है। साथ ही, भारी ट्रकों की आवाजाही से सड़कें टूट चुकी हैं। चांपा रोड की हालत खराब हो गई है।

CG NEWS:-वादे अधूरे, मुआवज़ा गायब
ग्रामीण शांतनु सिंह ने बताया कि कंपनी ने बिजली बिल माफी जैसे वादे किए थे, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। ज़मीन देने के बाद भी न मुआवज़ा मिला, न रोजगार। अधिकारी मौके पर नहीं आते।

‘ग्रामसभा नहीं हुई, सिर्फ दिखावा’
गोंगपा पार्टी के प्रवक्ता जयनाथ सिंह केराम ने कहा कि गांव वालों को जानबूझकर अंधेरे में रखा गया। जनसुनवाई दूर कोरा गांव में कराई गई, ताकि प्रभावित गांव वाले न पहुंच सकें। अब गांववालों ने संयुक्त संघर्ष समिति बनाई है।

CG NEWS:-मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का बयान
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा,
“यह परियोजना शुरू से विवादों में रही है। ऊपर से जबरन मंजूरी लेकर शुरू कर दी गई। मैं गांव वालों के साथ हूं और खुद प्रोजेक्ट डायरेक्टर से बात करूंगी।”

अब क्या आगे होगा?
गांव वालों ने कहा है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो बड़ा आंदोलन होगा। अब देखना है कि प्रशासन और कंपनी संवाद की राह अपनाते हैं या विरोध को नजरअंदाज करते हैं।
प्रभावित ग्रामीणों की आवाज़
विश्राम सोनी – “मेरी ज़मीन ली गई लेकिन मुआवज़ा नहीं मिला। पूछो तो कहते हैं – ज़मीन तुम्हारी थी ही नहीं।”
सुनील साहू – “ब्लास्टिंग से घरों में दरारें आ गई हैं। बरसात में गिर सकते हैं।”
आंदोलन की चेतावनी – एकजुट हुए ग्रामीण
ग्रामीणों ने संयुक्त संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो ये विरोध बड़े जनआंदोलन का रूप ले सकता है।