उत्तरप्रदेश

Mahakumbh 2025 :-महाकुंभ में 73 देशों के राजनयिक संगम में लगाएंगे डुबकी; रूस-यूक्रेन के प्रतिनिधि भी होंगे शामिल

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में 73 देशों के राजनयिक संगम में स्नान करेंगे, जिसमें रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। यह आयोजन वैश्विक एकता और भारतीय संस्कृति की सुंदरता को दर्शाता है।

Mahakumbh 2025 :-प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। इस बार, 1 फरवरी को 73 देशों के राजनयिक संगम में स्नान करेंगे। विशेष बात यह है कि रूस और यूक्रेन के राजदूत, जो युद्ध के कारण एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं, इस पवित्र अवसर पर एक साथ गंगा स्नान करेंगे।

इन देशों के राजनयिकों के आने से महाकुंभ का महत्व और बढ़ गया है। जापान, अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड, कैमरून, कनाडा, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, पोलैंड और बोलीविया सहित कई देशों के प्रतिनिधि इस आयोजन में भाग लेंगे। मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस बारे में जानकारी दी है।

महाकुंभ का महत्व:

महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होने वाला एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करते हैं। इस बार, 144 साल बाद एक विशेष संयोग बन रहा है, जिसे पूर्ण महाकुंभ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं, जिसके कारण इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।

प्रमुख आकर्षण:

विदेशी राजनयिक संगम में स्नान के साथ-साथ प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे बड़े हनुमान मंदिर और अक्षयवट के दर्शन भी करेंगे। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति वैश्विक आकर्षण को दर्शाता है।

सुरक्षा और व्यवस्थापन:

महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए हैं। आधुनिक तकनीक और AI आधारित कैमरों की मदद से भीड़ प्रबंधन किया जा रहा है। विदेशी मेहमानों के लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम भी किए गए हैं।

महाकुंभ 2025 के प्रमुख स्नान दिवस:

तिथिदिनपर्व
13 जनवरी 2025सोमवारमकर संक्रांति स्नान
27 जनवरी 2025सोमवारपौष पूर्णिमा स्नान
10 फरवरी 2025सोमवारमाघी अमावस्या स्नान
24 फरवरी 2025सोमवारमाघी पूर्णिमा स्नान

प्रतिक्रिया:

महाकुंभ में विदेशी राजनयिकों की भागीदारी भारतीय संस्कृति की वैश्विक स्वीकार्यता और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते आकर्षण का प्रतीक है। रूस और यूक्रेन जैसे देशों के प्रतिनिधियों का एक साथ गंगा स्नान करना विश्व शांति और एकता का संदेश देता है।

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