
Kedarnath Yatra:-उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम की यात्रा इन दिनों जोरों पर है। बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई वाले इस मार्ग में बुजुर्ग और अशक्त श्रद्धालुओं के लिए नेपाली पुरुषों और महिलाओं की सेवा अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
नेपाली सेवा: श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक
गौरीकुंड से केदारनाथ तक की 16 किलोमीटर की यात्रा में बुजुर्ग और शारीरिक रूप से कमजोर श्रद्धालुओं के लिए पालकी और डंडी सेवा उपलब्ध है। इन सेवाओं का संचालन मुख्यतः नेपाली मूल के पुरुष करते हैं। एक पालकी को चार लोग मिलकर उठाते हैं, जिससे अनुमानित 55,000 से 60,000 नेपाली पुरुष इस सेवा में संलग्न हैं। इसके अलावा, नेपाली महिलाएं भी सामान ढोने और अन्य सहायक कार्यों में योगदान देती हैं।
Kedarnath Yatra:-यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या और सेवाएं
24 मई 2025 तक, लगभग 5 लाख श्रद्धालु केदारनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं। बुजुर्ग और अशक्त श्रद्धालुओं के लिए लगभग 18,000 से 20,000 पालकी सेवाएं उपलब्ध हैं।

श्रद्धालुओं के अनुभव
बुजुर्ग श्रद्धालु केतन भाई बताते हैं, “यात्रा कठिन है, लेकिन नेपाली भाइयों की मदद से हम बिना परेशानी के बाबा के दर्शन कर पाते हैं।” एक अन्य श्रद्धालु सागर शर्मा कहते हैं, “पालकी सेवा महंगी जरूर है, लेकिन नेपाली भाइयों की मेहनत और सेवा भावना देखकर मन में उनके प्रति सम्मान बढ़ जाता है।”

Kedarnath Yatra:-यमुनोत्री: और भी कठिन चढ़ाई
चारधाम यात्रा में यमुनोत्री की चढ़ाई केदारनाथ से भी अधिक कठिन मानी जाती है। यहां की सीधी और खड़ी चढ़ाई बुजुर्गों के लिए चुनौतीपूर्ण होती है। इस मार्ग में भी नेपाली सेवक पालकी और डंडी के माध्यम से श्रद्धालुओं की मदद करते हैं। अब तक, लगभग ढाई लाख श्रद्धालुओं ने देवी यमुना के दर्शन किए हैं, जिसमें नेपाली सेवकों का बड़ा योगदान है।

यात्रा मार्ग और सुविधाएं
गौरीकुंड से केदारनाथ तक की यात्रा में श्रद्धालुओं को कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं:
- पालकी और डंडी सेवा: बुजुर्ग और अशक्त श्रद्धालुओं के लिए।
- खच्चर सेवा: चलने में असमर्थ श्रद्धालुओं के लिए।
- मेडिकल कैंप: हर 3-5 किलोमीटर पर।
- रेन शेल्टर और बेंच: विश्राम के लिए।
रोपवे परियोजना: भविष्य की सुविधा
केंद्र सरकार ने पर्वतमाला परियोजना के तहत केदारनाथ रोपवे परियोजना को मंजूरी दी है। यह रोपवे सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबा होगा, जिससे यात्रा का समय 8-9 घंटे से घटकर मात्र 36 मिनट हो जाएगा। इससे बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं को विशेष लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
केदारनाथ और यमुनोत्री की कठिन यात्राओं में नेपाली सेवकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी सेवा भावना और समर्पण के कारण ही हजारों बुजुर्ग और अशक्त श्रद्धालु बाबा केदारनाथ और देवी यमुना के दर्शन कर पा रहे हैं।