Sugar Board:-CBSE ने स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ लगाने का आदेश क्यों दिया? जानिए पूरी जानकारी

Sugar Board:-बच्चों की सेहत को लेकर चिंतित केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सभी संबद्ध स्कूलों को ‘शुगर बोर्ड’ लगाने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य छात्रों को अत्यधिक चीनी सेवन से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति जागरूक करना है। यह कदम राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिशों के बाद उठाया गया है।
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Sugar Board:-शुगर बोर्ड क्या है?
शुगर बोर्ड एक सूचना पट्ट है जो स्कूलों में लगाया जाएगा। इस पर निम्नलिखित जानकारी दी जाएगी:
- विभिन्न खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा
- अत्यधिक चीनी सेवन से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम
- स्वस्थ विकल्पों के सुझाव
Sugar Board:-बच्चों में चीनी सेवन की स्थिति:
CBSE के अनुसार, 4-10 वर्ष के बच्चे अपनी दैनिक कैलोरी का 13% और 11-18 वर्ष के बच्चे 15% चीनी से प्राप्त करते हैं, जबकि WHO की सिफारिश 5% है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
अत्यधिक चीनी सेवन से बच्चों में निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:
- मोटापा
- टाइप 2 मधुमेह
- दांतों की समस्याएं
- ऊर्जा की कमी और थकान
स्कूलों के लिए निर्देश:
CBSE ने स्कूलों को निम्नलिखित कदम उठाने के लिए कहा है:
- शुगर बोर्ड लगाना
- जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन
- 15 जुलाई तक रिपोर्ट और तस्वीरें प्रस्तुत करना
अन्य राज्यों की पहल:
पंजाब और झारखंड जैसे राज्यों में भी शुगर बोर्ड लगाने की पहल की गई है। पंजाब में स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को शुगर बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है, जबकि झारखंड में शिक्षा परियोजना परिषद ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
विशेषज्ञों की राय:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल बच्चों में स्वस्थ आहार की आदतें विकसित करने में मदद करेगी। बेंगलुरु के विशेषज्ञों ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है जो बच्चों की दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।