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ISRO Cryogenic Engine:-ISRO ने सस्ते में बनाया अरबों डॉलर का CE20 क्रायोजेनिक इंजन, मस्क का SpaceX भी हैरान
ISRO Cryogenic Engine:-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने क्रायोजेनिक इंजन CE20 को एक बड़ी सफलता के साथ समुद्र तल पर सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है। यह परीक्षण 29 नवंबर 2024 को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया। इसरो का यह इंजन अपनी लागत और तकनीकी क्षमता के कारण SpaceX के रैप्टर इंजन को टक्कर दे रहा है।
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CE20 क्रायोजेनिक इंजन की खासियतें
विशेषता | विवरण |
---|---|
ईंधन | तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन |
थ्रस्ट क्षमता | 19-22 टन |
नोजल एरिया रेशियो | 100:1 |
परीक्षण स्थान | समुद्र तल और उच्च ऊंचाई |
पर्यावरण-अनुकूल | ग्रीन प्रोपेलेंट का उपयोग |
- नोजल प्रोटेक्शन सिस्टम: यह सिस्टम समुद्र तल पर परीक्षण की लागत और जटिलता को कम करता है।
- इंजन का उपयोग: यह क्रायोजेनिक इंजन Gaganyaan और LVM-3 जैसे मिशनों में ऊपरी चरण को शक्ति प्रदान करेगा।
समुद्र तल पर परीक्षण क्यों है खास?
समुद्र तल पर परीक्षण से इंजन के ज्वलन और थ्रस्ट उत्पादन में चुनौतियों का समाधान किया गया। इसरो ने विशेष मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर और इंजेक्टर तकनीक का उपयोग करके यह परीक्षण किया। यह प्रणाली इंजन को स्थायित्व और उच्च प्रदर्शन क्षमता प्रदान करती है।
SpaceX के रैप्टर इंजन से तुलना
पैरामीटर | ISRO CE20 | SpaceX Raptor |
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ईंधन प्रकार | क्रायोजेनिक मिश्रण | मिथेन और ऑक्सीजन |
लागत | कम | अधिक |
तकनीकी विकास | ग्रीन प्रोपेलेंट | पारंपरिक प्रोपेलेंट |
ISRO की बढ़ती ताकत
ISRO ने अपने इस इंजन के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस मार्केट में भारत को एक सशक्त प्रतियोगी के रूप में स्थापित किया है। यह CE20 इंजन न केवल भारत के मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान को सफल बनाएगा बल्कि अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी बनेगा ।