Indus Water Treaty:-पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की अपील की, जल संकट गहराया

Indus Water Treaty:-पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की अपील की, जल संकट गहरायापाकिस्तान ने भारत को पत्र लिखकर सिंधु जल संधि के निलंबन पर पुनर्विचार करने की अपील की है। यह कदम भारत द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद संधि को निलंबित करने के निर्णय के बाद उठाया गया है।
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Indus Water Treaty:-भारत का कड़ा रुख
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए निम्नलिखित कदम उठाए:
- सिंधु जल संधि का निलंबन
- वाघा-अटारी सीमा का बंद होना
- पाकिस्तानी राजनयिकों की निष्कासन
- पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सय्यद अली मुर्तज़ा ने भारत को पत्र लिखकर कहा, “संधि के निलंबन से पाकिस्तान में खरीफ की फसल के लिए पानी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।”
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने चेतावनी दी कि यदि भारत सिंधु जल संधि को पुनः लागू नहीं करता है, तो दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम खतरे में पड़ सकता है।
पाकिस्तान की कृषि पर प्रभाव
पाकिस्तान की कृषि सिंधु नदी पर अत्यधिक निर्भर है। संधि के निलंबन से निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं:
क्षेत्र | विवरण |
---|---|
कृषि भूमि | 4.7 करोड़ एकड़ सिंधु जल पर निर्भर |
कृषि GDP में योगदान | 23% |
ग्रामीण आबादी की निर्भरता | 68% |
जल आपूर्ति में बाधा से खाद्य संकट, बेरोज़गारी और ग्रामीण अस्थिरता बढ़ सकती है।
विशेषज्ञों की राय
जल विशेषज्ञों का मानना है कि सिंधु जल संधि का निलंबन दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है। यह संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी थी और अब तक दोनों देशों के बीच जल विवादों को सुलझाने में सहायक रही है।
संक्षिप्त जानकारी
विषय | विवरण |
---|---|
संधि का नाम | सिंधु जल संधि |
हस्ताक्षर तिथि | 19 सितंबर 1960 |
हस्ताक्षरकर्ता | भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान |
मध्यस्थ | विश्व बैंक |
निलंबन की तिथि | 23 अप्रैल 2025 |