Indian Judiciary:- सुप्रीम कोर्ट बनाम ईडी: ‘कानूनी सलाह को अपराध कैसे माना जा सकता है?’ – SCAORA ने उठाए गंभीर सवाल

Indian Judiciary:- देश की शीर्ष जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक बार फिर विवादों में है। इस बार सीधा टकराव सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं से हो गया है। मामला तब गर्माया जब वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को ईडी ने समन भेजा, जिसे वकीलों की संस्था SCAORA ने संविधान और कानून के खिलाफ बताया है।
Indian Judiciary:-SCAORA का बयान: “यह पेशे को डराने की कोशिश है”
SCAORA (सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन) के मानद सचिव निखिल जैन ने 16 जून को एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा:
“ईडी की यह कार्रवाई न सिर्फ गलत है, बल्कि इससे अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता और नागरिकों के न्याय तक पहुंच के अधिकार पर खतरा पैदा होता है।”
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Indian Judiciary:-क्या है पूरा मामला?
विवरण | तथ्य |
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मामला | केयर हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ा है |
जांच | रश्मि सलूजा को दी गई ईएसओपी योजना पर ईडी और IRDA की संयुक्त जांच |
अधिवक्ता की भूमिका | अरविंद दातार ने रश्मि सलूजा को सिर्फ कानूनी सलाह दी थी |
ईडी का आरोप | क्या दातार की सलाह किसी वित्तीय गड़बड़ी का हिस्सा थी? |
Indian Judiciary:-“कानूनी सलाह को अपराध कहना खतरनाक संकेत”
SCAORA ने स्पष्ट किया कि अधिवक्ताओं द्वारा दी गई सलाह को आपराधिक सहयोग बताना न केवल संवैधानिक रूप से गलत है, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।
उन्होंने कहा:
“अगर अधिवक्ताओं को उनके पेशे के लिए ही निशाना बनाया जाएगा, तो ये न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता पर हमला है।”
ED ने समन वापस लिया, पर सवाल बरकरार
विवाद बढ़ने पर ED ने दातार को जारी किया गया समन वापस ले लिया, लेकिन इससे जुड़े सवाल अब भी खड़े हैं:
- क्या जांच एजेंसियों को अधिवक्ताओं को इस तरह से समन भेजने का अधिकार होना चाहिए?
- क्या ये भविष्य में सभी कानूनी पेशेवरों पर दबाव बनाने की शुरुआत है?
SCAORA की चेतावनी
“कोई भी नागरिक बिना डर के वकील से सलाह ले सके, ये उसका मूलभूत अधिकार है। अगर वकीलों को ही निशाना बनाया जाएगा, तो यह लोकतंत्र की जड़ों को हिला देगा।”