India Bangladesh Relations:-आम से बढ़ती दोस्ती: बांग्लादेश के PM यूनुस ने पीएम मोदी को भेजे 1000 किलो ‘हरिभंगा’ आम, जारी रही मैंगो डिप्लोमेसी

India Bangladesh Relations:-भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में थोड़ी तल्खी के बावजूद ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ की मिठास इस साल भी बनी रही। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1000 किलो ‘हरिभंगा’ किस्म के आम तोहफे के रूप में भेजे हैं। ये आम भारत के अन्य राजनयिक और अधिकारियों को भी भेंट किए जाएंगे।
हरिभंगा आम उत्तर बंगाल (बांग्लादेश) की मशहूर प्रजाति है, जो स्वाद में बेहद रसीली और मीठी होती है।
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India Bangladesh Relations:-भारत-बांग्लादेश: रिश्तों में आई खटास और मिठास की कोशिश
पिछले साल 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदू समुदाय पर हुए हमलों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित किया था। तब से दोनों देशों के बीच रिश्तों में ठंडापन देखा गया।
बांग्लादेश की ओर से यह आम एक सद्भावना संकेत के रूप में भेजे गए हैं। इस पहल को “मैंगो डिप्लोमेसी” कहा जा रहा है, जिसके ज़रिए बांग्लादेश भारत से अपने संबंध सुधारने का संदेश दे रहा है।
India Bangladesh Relations:-मैंगो डिप्लोमेसी: क्या है इसकी कहानी?
| वर्ष | घटना |
|---|---|
| 2021 | बांग्लादेश ने 2600 किलो हरिभंगा आम भारत के PM, राष्ट्रपति, ममता बनर्जी और पूर्वोत्तर राज्यों के CMs को भेजे। |
| 2024 | 1000 किलो आम पीएम मोदी को भेजे गए, जबकि पिछले वर्ष रिश्तों में खटास आई थी। |
बांग्लादेश ने आम सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि श्रीलंका, नेपाल, ब्रिटेन, कतर, UAE, इटली, कनाडा आदि देशों को भी भेजे हैं।
भारत और बांग्लादेश: सिर्फ सीमाएं नहीं, संस्कृति भी साझा
- दोनों देश 4000 किमी से अधिक लम्बी सीमा साझा करते हैं।
- बांग्लादेश की 94% सीमा भारत से जुड़ी है, इसलिए इसे ‘India-locked’ देश भी कहा जाता है।
- दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध भी गहरे हैं।
हिल्सा डिप्लोमेसी भी चर्चा में रही
पिछले साल सितंबर में बांग्लादेश ने भारत को हिल्सा मछली का निर्यात रोक दिया था, जिससे रिश्तों में तनाव बढ़ा।
लेकिन 21 सितंबर 2024 को बांग्लादेश ने 3000 टन हिल्सा भारत भेजने की मंजूरी दी थी। यह भी एक डिप्लोमैटिक सिग्नल माना गया।
भारत ने भी की थी आम के जरिए दोस्ती की पहल
- साल 1955 में भारत ने आम के पौधे चीन को भेजे थे।
- 2004 में भारत से पहली बार आमों की आधिकारिक खेप चीन पहुंची थी।
इस पहल को ‘सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी’ का हिस्सा माना जाता है, जिसमें संस्कृति, उपहार और परंपराएं कूटनीति का जरिया बनती हैं।
