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Global Diplomacy:-रूस ने तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता, बना दुनिया का पहला देश

Global Diplomacy:-रूस ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता दे दी है, जिससे वह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यह फैसला गुरुवार को अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और अफगानिस्तान में रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव की बैठक के बाद सामने आया।

रूसी विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि उन्होंने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से आधिकारिक प्रमाण-पत्र स्वीकार कर लिया है। मंत्रालय ने बताया कि यह मान्यता दोनों देशों के बीच सहयोग को और मज़बूत करेगी।

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी ने रूस के इस कदम को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह निर्णय बाकी देशों के लिए एक मिसाल बन सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब अन्य देश भी तालिबान सरकार को मान्यता देने पर विचार करेंगे।

तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिका और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। तब से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पाने की कोशिश कर रहा था। हालांकि चीन, संयुक्त अरब अमीरात और कुछ देशों से उसके राजनयिक रिश्ते हैं, लेकिन किसी भी देश ने अब तक उसे आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी थी।

Global Diplomacy:-रूस का यह फैसला ऐसे समय आया है जब तालिबान सरकार पर महिलाओं के अधिकारों को लेकर दुनियाभर में सवाल उठ रहे हैं। सत्ता में आने के तुरंत बाद तालिबान ने लड़कियों की छठी कक्षा के बाद पढ़ाई पर रोक लगा दी और महिलाओं को नौकरी व सार्वजनिक स्थलों पर जाने से प्रतिबंधित कर दिया। इन कारणों से तालिबान सरकार वैश्विक मंचों पर अलग-थलग पड़ गई थी।

रूस पहले भी तालिबान से संपर्क में रहा है और हाल ही में उसने अफगानिस्तान की स्थिरता के लिए तालिबान से संवाद ज़रूरी बताया था। इसी साल अप्रैल में रूस ने तालिबान पर लगे कुछ प्रतिबंध भी हटा दिए थे।

इतिहास की बात करें तो अफगानिस्तान एक समय रूस और अमेरिका के बीच शीत युद्ध का केंद्र रहा है। 1980 के दशक में सोवियत संघ की फौज अफगानिस्तान में उतरी थी, जिसके जवाब में अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद से ‘मुजाहिदीन’ तैयार किए थे। इस संघर्ष ने अफगानिस्तान को दशकों तक हिंसा और अस्थिरता में झोंक दिया।

Global Diplomacy:-अब रूस के इस नए फैसले को एक रणनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है, जिससे भारत जैसे देशों पर भी तालिबान को मान्यता देने का दबाव बढ़ सकता है। भारत की रूस से पुरानी दोस्ती और अफगानिस्तान में उसके हितों को देखते हुए आने वाले समय में नई कूटनीतिक दिशा देखने को मिल सकती है।

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