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53 साल बाद दो दिन रहेगा गजच्छाया योग, जानिए पितृपक्ष के क्या हैं नियम और तिथियां

पितरों का श्राद्ध और तर्पण करके लोग पूर्वजों से खुशियों का आशीर्वाद पाते हैं और पितृ गण भी पितृ पक्ष में अपने लोगों पर कृपा बरसाते हैं। इस माह पितृ पक्ष 29 सितंबर यानी आज से शुरू हुआ है और 14 अक्टूबर को इनका समापन होगा। इस बार दो दिन गजच्छाया योग बन रहा है, जो 53 साल के बाद ऐसा हो रहा है। गजच्छाया योग में पितरों को पर्पण करने से स्वास्थ्य, धन और पारिवारिक अशांति से संबंधित समस्यांओ का समाधान हो जाता है। 11 और 14 अक्टूबर को गजच्छाया योग बन रहा है।

पितृ पक्ष में अगर कोई जानवर या पक्षी आपके घर आए, तो उसे भोजन जरूर कराना चाहिए। मान्‍यता है कि पूर्वज इन रूप में आपसे मिलने आते हैं। पितृ पक्ष में पत्तल पर भोजन करें और ब्राह्राणों को भी पत्तल में भोजन कराएं, तो यह फलदायी होता है।

पितृ पक्ष 2023 तिथि  

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- सितंबर 29, 2023 को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से 
प्रतिपदा तिथि समाप्त- सितंबर 30 , 2023 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक

पितृ पक्ष के अनुष्ठानों का समय 

कुतुप मुहूर्त- 29 सितंबर को दोपहर 11:47 बजे से 12:35 बजे तक, अवधि- 48 मिनट्स 
रौहिण मुहूर्त- 29 सितंबर को दोपहर 12:45बजे से 01:23 बजे तक, अवधि – 48 मिनट्स 
अपराह्न काल – 29 सितंबर को दोपहर 01:23 बजे से 03:46 बजे तक, अवधि – 02 घंटे 23 मिनट्स

पितृपक्ष यानी श्राद्ध में ऐसे कई कार्य होते हैं, जिनको करने से लोग परहेज करते हैं, जिसमें से एक है दाढ़ी और बाल कटवाना। आइए जानते हैं पितृपक्ष में दाढ़ी, मूंछ और बाल कटवाने चाहिए या नहीं।

इन लोगों के लिए है नियम
पितृपक्ष यानी श्राद्ध में कई लोग बाल, दाढ़ी, मूंछ या नाखून काटने से परहेज करते हैं। वे इन दिनों बाल या दाढ़ी नहीं काटते हैं, फिर चाहें कितने भी बड़े हो जाएं। शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति पितृ कर्म करता है यानी श्राद्धपक्ष में हर रोज पितरों को तर्पण और श्राद्ध तिथि के दिन श्राद्ध कर्म करता है, उनको बाल, दाढ़ी, मूंछ या नाखून काटने से परहेज रखना चाहिए। बाकी के अन्य लोग बाल, दाढ़ी, मूंछ या नाखून काट सकते हैं।

हर मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण
कई तरह की मान्यताओं में बाल या नाखून काटना शौक की चीज या श्रृंगार से जुड़ा माना जाता है इसलिए पितृपक्ष में बाल काटने से मना किया जाता है। अगर आप इन चीजों पर विश्वास करते हैं या नहीं भी करते हैं तो पितृपक्ष से पहले आने वाली पूर्णिमा के दिन बाल या नाखून काट सकते हैं। क्योंकि पितृपक्ष का समय पितरों को याद करने और सात्विक भाव से जीने के लिए होता है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि नाखून बाल नहीं काटने चाहिए क्योंकि हर मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण होते हैं, पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा पितृ ऋण।

इन चीजों से भी रहें दूर
पितृपक्ष के दौरान बाल, दाढ़ी, मूंछ या नाखून काटने के अलावा कई और भी चीज हैं, जो वर्जित बताई गई हैं। इन दिनों ब्रह्मचार का व्रत करना चाहिए। साथ ही लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा जैसे आदि तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दौरान बासी खाना भी नहीं खाना चाहिए और मांगलिक कार्य इस पक्ष में निषेध बताए गए हैं।

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