
Caste Census:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। सरकार ने आगामी जनगणना में जाति आधारित आंकड़ों को शामिल करने का फैसला किया है। यह स्वतंत्र भारत में पहली बार होगा जब केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराएगी। इस निर्णय को सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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जनगणना 2025: प्रमुख विशेषताएं
विशेषता | विवरण |
---|---|
प्रारंभ वर्ष | 2025 |
समाप्ति वर्ष | 2026 |
प्रमुख नवाचार | पहली बार डिजिटल माध्यम से डेटा संग्रहण |
जातिगत जानकारी | सभी जातियों, धर्मों और समुदायों की गणना शामिल |
मुस्लिम जातियों की गणना | पहली बार मुस्लिम समुदाय की जातियों की भी गणना होगी |
डेटा संग्रह का माध्यम | विशेष रूप से विकसित डिजिटल पोर्टल का उपयोग |
सरकारी बयान
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि आगामी जनगणना में जातियों की भी गणना की जाएगी। उन्होंने कहा, “कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण किया है, लेकिन सामाजिक संरचना को समझने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है। अब जातियों की गिनती मुख्य जनगणना के तहत ही की जाएगी, किसी अलग सर्वेक्षण के माध्यम से नहीं।”
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, ने लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। बिहार में महागठबंधन सरकार के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वेक्षण कराया था, जिसके बाद से देशभर में इसकी मांग तेज हुई।
कैबिनेट के अन्य प्रमुख निर्णय
- शिलॉन्ग-सिलचर हाईस्पीड कॉरिडोर: मेघालय और असम को जोड़ने वाला 166 किमी लंबा छह लेन का हाईस्पीड कॉरिडोर बनाया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत ₹22,864 करोड़ होगी।
- गन्ने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): वर्ष 2025-26 के लिए गन्ने की MSP ₹355 प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है। यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले।
जनगणना चक्र में बदलाव
पारंपरिक रूप से हर 10 साल में होने वाली जनगणना अब 2025 में शुरू होगी और 2026 तक चलेगी। इसके बाद अगली जनगणना 2035 में होगी, जिससे जनगणना चक्र में बदलाव आएगा।
डिजिटल जनगणना की तैयारी
सरकार ने पहली बार जनगणना के आंकड़ों को डिजिटल रूप से एकत्रित करने की योजना बनाई है। इसके लिए एक विशेष पोर्टल विकसित किया गया है, जिसमें जातिगत जानकारी भी शामिल की जाएगी। यह पहल डेटा संग्रहण की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाएगी