अधयात्म

Vastu Tips:- घर की इस दिशा में श्वेतार्क का पौधा लगाने से बनी रहेगी भगवान् गणेश की कृपा, यहां जानें विस्तार में

Vastu Tips:- वास्तु शास्त्र के हिसाब से हर चीजों को एक सही जगह में होना चाहिए। सबका स्थान निर्धारित किया गया है। वैसे ही वास्तु के हिसाब से पेड़-पौधों को पॉजिटिव एनर्जी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। घर में सही दिशा में पेड़-पौधे लगाने से पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो बढ़ता है। इतना ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों को वास्तु के हिसाब से लगाया जाए, तो व्यक्ति के जीवन में चल रही प्रॉब्लम्स दूर हो सकती है। साथ ही उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। हिंदू धर्म में पेड़-पौधों को देवी-देवताओं का रूप माना जाता है। इनकी लगाने के साथ-साथ उनकी पूजा करने से भी व्यक्ति को लाभ हो सकता है। तो ऐसी क्रम में जानेंगें श्वेतार्क पौधा को लगाने के बारे में इस पौधे को घर की किस दिशा में लगाने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त हो सकती है। तो जानतें हैं विस्तार से।

क्या है श्वेतार्क का पौधा?
तो सबसे पहले जान लेते है श्वेतार्क का पौधा आखिर है कौन सा। इस पौधे को सफेद आक भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में यह पौधा भगवान शिव और गणेश को समर्पित है। इसे पूजा में अर्पित करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

घर की किस दिशा में लगाएं श्वेतार्क का पौधा?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, श्वेतार्क का पौधा घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा सूर्य देव और पितृ देवताओं से जुड़ी है, और श्वेतार्क इन दोनों का ही प्रिय पौधा माना जाता है। इस दिशा में श्वेतार्क लगाने से पॉजिटिव एनर्जी का संचार हो सकता है। श्वेतार्क का पौधा शांति और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिशा में श्वेतार्क लगाने से घर में शांति और समृद्धि आती है। श्वेतार्क का पौधा ग्रहों की स्थिति को ठीक करने में मदद करता है। साथ ही इस पौधा को घर में लगाने से वास्तु दोष से भी छुटकारा मिल सकता है।

भगवान गणेश को प्रिय है श्वेतार्क का पौधा
शिवपुराण के अनुसार, श्वेतार्क भगवान शिव के तीसरे नेत्र से उत्पन्न हुआ था। चूंकि भगवान गणेश भगवान शिव के पुत्र हैं, इसलिए श्वेतार्क को उनका भी प्रिय पौधा माना जाता है। इसलिए भगवान गणेश की पूजा में भी श्वेतार्क के पत्ते अर्पित कर सकते हैं। इससे व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।

किस दिशा में नहीं लगाना चाहिए श्वेतार्क का पौधा?
उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है, और यह देवताओं और ज्ञान से जुड़ी दिशा है। श्वेतार्क का पौधा दक्षिण-पश्चिम दिशा का पौधा माना जाता है, और यह सूर्य देव और पितृ देवताओं से जुड़ा है। इन दोनों दिशाओं का स्वभाव और गुण भिन्न हैं, इसलिए श्वेतार्क को उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। वहीं पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है और यह ऊर्जा और विकास से जुड़ी है। श्वेतार्क का पौधा सूर्य देव से जुड़ा है, इसलिए इसे पूर्व दिशा में लगाने से सूर्य की ऊर्जा कमजोर हो सकती है। पश्चिम दिशा सूर्यास्त की दिशा है। यह प्रेम और संबंधों से जुड़ी है। श्वेतार्क का पौधा पितृ देवताओं से जुड़ा है। इसलिए इसे पश्चिम दिशा में लगाने से प्रेम और संबंधों में परेशानी हो सकती है।

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