Legal News:-पत्नी से खर्च का हिसाब मांगना क्रूरता नहीं: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Legal News:-सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वैवाहिक विवादों से जुड़े एक अहम मामले में साफ कहा कि पति द्वारा पत्नी से घर के खर्चों का हिसाब एक्सेल शीट में रखने को कहना “क्रूरता” नहीं माना जा सकता। ऐसे आधार पर पति के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि यह आरोप शादीशुदा जीवन में होने वाले सामान्य मतभेद और रोजमर्रा के तनाव को दर्शाते हैं, न कि आपराधिक क्रूरता को।
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Legal News:-कोर्ट का क्या कहना है?
जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा:
- घरेलू खर्चों का हिसाब रखना या मांगना अपने आप में अपराध नहीं
- पति द्वारा अपने माता-पिता को पैसे भेजना भी क्रूरता नहीं
- बिना ठोस मानसिक या शारीरिक नुकसान के आरोप, आपराधिक मुकदमे का आधार नहीं बन सकते
पत्नी के मुख्य आरोप क्या थे?
पत्नी ने अपने पति पर ये आरोप लगाए थे:
- पति का अपने माता-पिता को नियमित पैसे भेजना
- पत्नी से रोजाना खर्च का हिसाब एक्सेल शीट में रखने की मांग
- बच्चे के जन्म के बाद वजन बढ़ने पर ताने मारना
- गर्भावस्था और मातृत्व के बाद देखभाल न करना
लेकिन कोर्ट ने इन सभी आरोपों को “कानूनी क्रूरता” की परिभाषा में शामिल नहीं माना।
Legal News:-कोर्ट की अहम टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि:
“भारतीय समाज में अक्सर पुरुष आर्थिक मामलों में अधिक नियंत्रण रखते हैं, लेकिन केवल आर्थिक प्रभुत्व या खर्च का हिसाब मांगना आपराधिक क्रूरता नहीं कहा जा सकता। आपराधिक कानून को निजी बदले या पारिवारिक हिसाब-किताब निपटाने का जरिया नहीं बनाया जा सकता।”
क्यों है यह फैसला अहम?
- वैवाहिक मामलों में झूठे या कमजोर आरोपों पर आपराधिक केस रोकने की दिशा
- पति-पत्नी के निजी विवादों में कानून के दुरुपयोग पर लगाम
- “क्रूरता” की कानूनी परिभाषा को और स्पष्ट किया
