Viral News:-महिला यूट्यूबरों पर फ्रांस के राष्ट्रपति का मुकदमा, पत्नी को पुरुष बताने पर बढ़ा विवाद

Viral News:-फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिजिट मैक्रों एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दो महिला यूट्यूबरों ने यह दावा किया कि ब्रिजिट पहले एक पुरुष थीं और लिंग परिवर्तन के बाद महिला बनीं। इस गंभीर आरोप को लेकर राष्ट्रपति मैक्रों ने इन महिलाओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, जो अब फ्रांस की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
यह विवाद दिसंबर 2021 में शुरू हुआ जब यूट्यूबर अमंडाइन रॉय ने एक इंटरव्यू में पत्रकार नताशा रे से बातचीत की। इस चार घंटे लंबे वीडियो में नताशा रे ने दावा किया कि ब्रिजिट मैक्रों असल में “जीन मिशेल ट्रोग्नेक्स” नामक पुरुष थीं और उन्होंने लिंग परिवर्तन के बाद इमैनुएल मैक्रों से शादी की। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इस दावे को साबित करने के लिए तीन साल तक रिसर्च की है।
Viral News:-वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़ आ गई। पूरी दुनिया में इसे लेकर साजिश के सिद्धांत (कॉन्सपिरेसी थ्योरी) फैलने लगी। खासकर अमेरिका में यह मामला बहुत उछला। ट्रंप समर्थक पत्रकार कैंडेस ओवेन्स और टकर कार्लसन ने इसे हवा दी और इसे “मानव इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक घोटाला” बताया।
कैंडेस ओवेन्स ने यहां तक कह दिया कि ब्रिजिट और जीन मिशेल ट्रोग्नेक्स दरअसल एक ही व्यक्ति हैं। उन्होंने दावा किया कि वह अपनी पूरी पत्रकारिता प्रतिष्ठा इस बात पर दांव पर लगा सकती हैं कि ब्रिजिट मैक्रों असल में पुरुष हैं।
Viral News:-इन दावों पर राष्ट्रपति मैक्रों की कानूनी टीम ने प्रतिक्रिया दी। जनवरी 2025 में ओवेन्स को एक कानूनी नोटिस भेजा गया जिसमें लिखा था कि ब्रिजिट को किसी को यह प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है कि वह महिला हैं। नोटिस में ओवेन्स के व्यवहार को अपमानजनक बताया गया।
हालांकि, ओवेन्स पीछे नहीं हटीं। उन्होंने यूट्यूब पर “Becoming Brigitte” नाम की वीडियो सीरीज शुरू की, जिसमें वे बार-बार ब्रिजिट की लिंग पहचान पर सवाल उठाती रहीं। फरवरी 2025 में उन्होंने फ्रांसीसी पत्रकार जेवियर पौसार्ड का इंटरव्यू किया, जिन्होंने इसी नाम से एक किताब भी लिखी है, जो अमेजन पर बेस्टसेलर बन चुकी है।
इस बीच पत्रकार नताशा रे ने कहा कि उन्हें फ्रांस में बोलने की आज़ादी नहीं मिल रही, और इसलिए उन्होंने रूस में राजनीतिक शरण मांगी है। उन्होंने खुद की तुलना अमेरिकी व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडन से की, जिन्हें अमेरिका से भागकर रूस में शरण मिली थी।
इस विवाद के बाद ब्रिजिट मैक्रों ने दोनों महिलाओं पर केस दर्ज कराया था। निचली अदालत ने दोनों को दोषी माना और करीब 13 हजार यूरो का जुर्माना भी लगाया। इसमें 8 हजार यूरो ब्रिजिट को और 5 हजार उनके भाई को दिए जाने थे। लेकिन बाद में पेरिस कोर्ट ने यह सजा रद्द कर दी।
अब राष्ट्रपति मैक्रों और उनके परिवार ने फ्रांस की सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है ताकि उन्हें न्याय मिल सके और इस तरह की अफवाहें रोकी जा सकें।