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Principal Love Marriage :-5-5 बच्चों के माता-पिता, विधवा और प्रधानाध्यापक की प्रेम कहानी बनी पंचायत की शादी! गांव में मचा हड़कंप

Principal Love Marriage :-सहरसा ज़िले के काशनगर थाना क्षेत्र के मैना गांव में एक अजीबोगरीब घटना ने लोगों को चौंका दिया है। बुधवार की रात गांववालों ने सरकारी मध्य विद्यालय पड़रिया के प्रधानाध्यापक भुवनेश्वर पासवान को एक विधवा महिला के साथ संदिग्ध हालत में रंगे हाथ पकड़ लिया। मामला इतना चर्चा में आ गया कि ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर उसी वक्त दोनों की शादी करवा दी।

Principal Love Marriage :-पूरा माजरा

यह महिला पहले उसी स्कूल में शिक्षक रह चुके एक व्यक्ति की पत्नी थीं, जिनकी दो साल पहले चुनाव ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। पति की मृत्यु के बाद महिला अकेली रहती थीं और तभी से प्रधानाध्यापक भुवनेश्वर से उनका नज़दीकी रिश्ता बन गया था। भुवनेश्वर पहले मैना स्कूल में शिक्षक थे और फिर पड़रिया विद्यालय में प्रधानाध्यापक बन गए। उन्होंने महिला के घर के पास ही किराए पर मकान ले लिया था, जिससे मुलाकातें और बढ़ती गईं।

Principal Love Marriage :-रंगे हाथ पकड़े गए

बुधवार रात जब दोनों को एक कमरे में आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया, तो गांव में सनसनी फैल गई। लोगों ने पंचायत बुलाई और सामाजिक दबाव बनाते हुए मौके पर ही शादी करवा दी। खास बात यह रही कि दोनों ने शादी करने से कोई इंकार नहीं किया और स्वेच्छा से रिश्ते को स्वीकार कर लिया।

इस घटना से गांव में कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ लोग इसे प्रेम की जीत मानते हैं, तो कुछ इसे सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन बता रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि जब दोनों अकेले हैं और साथ रहना चाहते हैं, तो इसमें गलत क्या है। वहीं, गांव के बुजुर्ग इस फैसले से नाराज़ हैं और इसे समाज के नियमों के खिलाफ मान रहे हैं।

Principal Love Marriage :-पुलिस जांच में

जानकारी मिलते ही काशनगर थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों को हिरासत में ले लिया। थाना प्रभारी विक्की रविदास ने बताया कि फिलहाल किसी ने लिखित शिकायत नहीं दी है, लेकिन मामले की जांच जारी है और दोनों से पूछताछ की जा रही है।

इस प्रेम विवाह की सबसे दिलचस्प बात यह है कि दोनों के पहले से पांच-पांच बच्चे हैं, जो अब बड़े हो चुके हैं। इस रिश्ते ने पूरे इलाके में नई बहस को जन्म दे दिया है – क्या प्यार हर उम्र में जायज़ है या सामाजिक मर्यादाएं ज़्यादा अहम होती हैं?

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